हम बहुत आसानी से वर्किंग वीमेन और नॉन वर्किंग वीमेन शब्द कह देते है - प्रसून जोशी
लेखक प्रसून जोशी का कहना है कि लोग बड़ी आसानी से वर्किंग वीमेन और नॉन वर्किंग वीमेन शब्द कह देते है।
प्रसून जोशी हिन्दी कवि, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार हैं। फ़िल्म ‘तारे ज़मीन पर’ के गाने ‘मां' के लिए उन्हें 'राष्ट्रीय पुरस्कार' भी मिल चुका है। 7 जनवरी मुंबई मे प्रसून जोशी नज़र आये 'लेडीज विंग जानकी देवी पुरस्कार' समारोह मे जहाँ उन्होंने महिलाओ के सशक्तिकरण को लेकर अपनी बात कही।
प्रसून ने कहा, '' हमे एक ऐसा समाज चाहिये जहां हमें चुनना न पड़े महिलाओं के सशक्तीकरण को सम्मानित करने के लिए, हमें सिंगल आउट वीमेन (अपवाद) को सेलिब्रेट नहीं करना चाहिये। हम बहुत आसानी से महिलाये को क्लासी फाई कर देते है, वर्किंग वीमेन और नॉन वर्किंग वीमेन कह कर। क्या यही स्टैंड है हमारे समाज का? वे महिलाये जिन्होंने हमें जन्म दिया जो घर पर रहकर हमें पालती है उनको हम नॉन वर्किंग वीमेन कहते है, क्या सब कुछ बस अब पैसो का लेंन देंन ही रह गया है?
हम कैसे समाज कि बात कर रहे है जहाँ मॉनिटाइज ही सब कुछ है। क्या हम अपने जन्म को मॉनिटाइज कर सकते है? एक माँ को बच्चे जन्म देने के लिए, हम उस माँ को मॉनिटाइज कैसे कर सकते है। इन्हे मॉनिटीज़ नहीं किया जा सकता महिलाओ की सशक्तिकरण के लिए ये कोई तरीका नहीं है ''।
आगे प्रसून ने महिलाओं के लिए कहा, '' मुझे लगता है पूरी गवर्नैंस को महिलाओ को सौप देना चाहिये''।